RBI ने रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती की — क्या है इसका मतलब?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 6 जून 2025 को अपनी मौद्रिक नीति में बड़ा बदलाव करते हुए रेपो रेट में 50 आधार अंकों की कटौती की घोषणा की है। यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए उठाया गया है। लेकिन आखिर रेपो रेट होता क्या है, और इस कटौती का आम जनता और बाजार पर क्या असर पड़ेगा? आइए विस्तार से समझते हैं।
रेपो रेट क्या होता है?
रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक ऋण प्रदान करता है। जब बैंक को पैसे की जरूरत होती है, तो वे RBI से ऋण लेते हैं और उस पर ब्याज देते हैं — यही ब्याज दर रेपो रेट कहलाती है।
रेपो रेट में कटौती क्यों की गई?
RBI जब रेपो रेट घटाता है, तो बैंकों के लिए पैसे उधार लेना सस्ता हो जाता है। इससे बाजार में लिक्विडिटी बढ़ती है, निवेश को प्रोत्साहन मिलता है और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आती है। इस बार RBI ने यह कदम महंगाई को काबू में रखने और मंद होती अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए उठाया है।
इसका असर आम आदमी पर क्या होगा?
रेपो रेट में कटौती का सीधा फायदा आम लोगों को तब मिलता है जब बैंक अपने ग्राहकों को सस्ते ब्याज पर लोन देने लगते हैं। इससे होम लोन, पर्सनल लोन और ऑटो लोन की ईएमआई घट सकती है। साथ ही, व्यापारियों को भी सस्ते कर्ज मिलने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे बाजार में हलचल तेज हो सकती है।
बाजार पर क्या असर पड़ेगा?
रेपो रेट में कटौती से शेयर बाजार में सकारात्मक माहौल बन सकता है क्योंकि यह संकेत देता है कि सरकार आर्थिक विकास को लेकर गंभीर है। रियल एस्टेट और ऑटो सेक्टर जैसे इंडस्ट्रीज को भी फायदा हो सकता है।
निष्कर्ष
RBI द्वारा रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती एक बड़ा और साहसिक कदम है, जिसका मकसद आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार देना है। हालांकि इसका पूरा फायदा आम जनता को तभी मिलेगा जब बैंक भी इसका लाभ ट्रांसफर करें और लोन सस्ते करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. रेपो रेट में कटौती का मतलब क्या है?
इसका मतलब है कि RBI ने बैंकों को दिए जाने वाले कर्ज पर ब्याज दर घटा दी है, जिससे लोन लेना सस्ता हो सकता है।
2. क्या इससे मेरी EMI कम होगी?
संभव है, यदि आपका लोन फ्लोटिंग रेट पर है और बैंक दर घटाता है तो आपकी EMI कम हो सकती है।
3. शेयर बाजार पर क्या असर होगा?
संभावना है कि शेयर बाजार में सकारात्मक रुझान देखने को मिले, खासकर बैंकिंग और ऑटो सेक्टर में।